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आंचलिक साहित्यकार परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी सम्पन्न

 आज अँधेरे घर में मेरे दीपक कौन जलाए- नंदकिशोर नदीम 

अब कहाँ पाकीज़ा ख़ुशबू इल्म में बाकी रही-भोलेप्रसाद नेमा-

एक मौन संवाद है अपने आप से-प्रीति जैन शक्रवार

कलमकार शोहरत का गुलाम नहीं होता-एस आर शेंडे


छिंदवाड़ा उग्र प्रभा न्युज (मोहिता जगदेव ) - आंचलिक साहित्यकार परिषद की छिंदवाड़ा-इकाई के सौजन्य से आयोजित मासिक-काव्य गोष्ठी रविवार को पेंशनर्स-सदन में संपन्न हुई। इस कवि-गोष्ठी में परिषद के वरिष्ठ तथा नवोदित सक्रिय रचनाकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सौंसर से पधारे वरिष्ठ रचनाकार श्री एस आर शेंडे ने की तथा कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे सर्वश्री रत्नाकर रतन,डॉ के के श्रीवास्तव,श्री केशव तिवारी,सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एवं श्री आर एस परिहार।अतिथियों ने सर्वप्रथम देवी वीणापाणि के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा अतिथियों के स्वागत के पश्चात सर्वप्रथम श्री नंदकुमार दीक्षित ने अपने सरस शब्दों में माता सरस्वती को शब्द- सुमन,"माँ वर दे.."कार्यक्रम में श्रीमती शरद मिश्र ने अपने भावसुमन समर्पित किये।श्री नंदकिशोर नदीम ने इस अवसर पर एक नवगीत प्रस्तुत,साथी,पल में हुए पराए..."श्रीमती मोहिता जगदेव ने "कभी दुशासन ने किया था द्रोपदी का चीरहरण... रचना प्रस्तुत की।श्री नंदकुमार दीक्षित ने "कब बुलाता है उपवन भ्रमरों की टोली को..रचना प्रस्तुत की।श्री नेमीचंद व्योम ने  भोपाल गैस त्रासदी पर इंसानियत के सिसकते अरमान की कहानी  का मार्मिक पाठ किया।श्री अशोक जैन ने बहादुरशाह ज़फ़र की एक ग़ज़ल का ज़िक्र करके वाहवाही लूटी।श्री रामलाल सराठे ने "प्रकृति की चहेती बिटिया...  कश्मीरकी वर्तमान स्थिति पर ये रचना सुनाई।श्री अंकुर वाल्मीकि ने "ये चढ़ते-उतरते ये डंडों पे झंडे..व्यंग्य रचना प्रस्तुत की।हर्रई से पधारे कवि भोलेप्रसाद नेमा "तुम धरा थीं मैं था अंबर..गीत प्रस्तुत किया।श्रीअनुज डेहरिया ने अब आपका हमारा रिश्ता एक छन्द हो..से करतलध्वनि लूटी।प्रीति जैन शक्रवार ने एक मौन संवाद है अपने आप से " तथा जयकुमार साइलवार ने भावपूर्ण काव्यपाठ किया।अमरवाड़ा से पधारे श्रीमनीष जैन ने माँ और बेटियों की ममता की महिमा का गान किया।श्री लक्ष्मण प्रसाद डेहरिया ने भोपाल में आयोजित विश्वरंग के अनुभव बताते हुए"मेरे दिल पर अब तेरी सुल्तानी है..रचना पेश की।श्रीमती शेफाली शर्मा ने 'राम स्वयं प्रमाण हैं..रचनाका पाठ किया।श्री सहदेव कोल्हे ने हर कोई जीता यहॉं..को अभिव्यक्ति दी।,काव्यगोष्ठी के मुख्य अतिथि सौंसर से फ्धारे वरिष्ठ कवि श्री एस आर शेंडे ने 'कलमकार गुलाम नहीं होता" रचना सुनाई।उभरते कवि शशांक दुबे ने महाभारत पर तथा सिवनी से पधारी कवयित्री श्रीमती अंबिका  शर्मा ने माता सीता के जीवन के मार्मिक पक्ष 'पृथ्वीप्रवेश' पर भावभीनी रचना प्रस्तुत की। श्री शिवेन्द्र क़ातिल ने 'भक्तों ने भगवान को धोखा दिया है..से काव्यपाठ आरंभ किया।विकल जौहरपुरी ने कुछ पैरोडी प्रस्तुत की।श्री प्रत्यूष जैन ने 'मासूमियत आवारगी दोनों हैं मेरे पास..से महफ़िल लूट ली।श्रीमती दीपशिखा सागर "मैं हूँ एहसास की बाहों मैं...रचना पेश की।इन्द्रजीतसिंह ठाकुर ने काव्यपाठ में छत्तीसगढ़ी का बघार लगाया।इसके अलावा श्रीमती अनुराध्या तिवारी ने पारंपरिक छंद में छिन्दवाड़ा-दर्शन, श्री सारिक ख़ान ने ग़ज़ल तथा  युवा कवि श्री अंबर पाठक ने भी ये छोटे-छोटे आकर्षण तथा श्री कालिदास बघेलने 'स्वच्छ रखेंगे हम छिन्दवाड़ा' रचना प्रस्तुत की।श्री रोहित रूसिया ने अपने मधुर गीत 'अबके दिन बीत रहे हैं.. गाकर मिठास घोल दी।श्रीमती संगीता श्रीवास्तव सुमन ने ग़ज़ल के कुछ शेर सुनाये।मंचस्थ कवियों में अवधेश तिवारी ने भूली-बिसरी यादों पर 'गओ ज़माना' रचना प्रस्तुत की।विशिष्ट अतिथियों में श्री रत्नाकर रतन,डॉ के.के.श्रीवास्तव,रणजीतसिंह परिहार तथा श्री केशव तिवारी ने अपनी रचनाओं से अभिभूत कर दिया।आज की कविगोष्ठी का प्रारंभिक उद्बोधन परिषद के सचिव श्री रामलाल सराठे ने दिया तथा गोष्ठी का सरस संचालन परिषद की कवियत्री श्रीमती संगीता श्रीवास्तव सुमन ने किया आंचलिक साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष श्री अवधेश तिवारी ने बताया कि आज के इस आयोजन में लगभग सभी रसों में कवियों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया।अपरान्ह 2:00 बजे से आरंभ हुई यह कविगोष्ठी सायंकाल तक निर्विघ्न चलते रही। गोष्ठी में हिंदी के साथ संस्कृत और बुंदेली का भी रचनाओं का भी पाठ हुआ। ज्ञातव्य है कि आंचलिक साहित्यकार परिषद की छिंदवाड़ा इकाई में राष्ट्रभाषा हिंदीके साथ संस्कृत और बुंदेली की भी अच्छी रचनाओं की प्रस्तुति की जा रही है।

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