/शीर्षक -संघर्ष अटल/
रचनाकार - भूपेंद्र कुमार सुल्लेरे
पत्रकारिता एवम जनसंचार,जनसंपर्क विभाग
अटल बिहारी बाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल
बिना लड़े भी कोई हल है
जीवन में संघर्ष अटल है ।
सुख दुख जीवन के दो पहलू
कहते करम किए का फल है।
मनो योग से जब जब ढूंढ़ा
गहन विषय का निकला हल है।
उस पर शक संदेह न करना
जिन नयनों में दिखता जल है ।
सिंहासन पर बैठे सुन लो
राख सभी जब जला अनल है।
बड़े चाव से पीने वालों
कब समझोगे पेय गरल है।
जिससे घृणा बहुत करते हो
उसी कीच मे खिला कमल है ।
जिसको सुघर नगर समझा था
कांक्रीट का वह जंगल है ।
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