सफलता पूर्वक संपन्न हुआ अखिल भारतीय सूर कवि सम्मेलन एवं पुस्तक विमोचन
छिंदवाड़ा उग्र प्रभा समाचार - 4 जून की शाम रामलीला परिसर छोटी बाजार में देश का अनूठा कार्यक्रम अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सफल रहा । कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा जिले की आंशिक दृष्टिबाधित शिक्षिका एवं सुप्रसिद्ध कवयित्री सुश्री अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू' के दो ग़ज़ल-संग्रह "रौशनी के हमसफ़र" एवं "अनवर से गुफ़्तगू" का एक साथ भव्य विमोचन ।
इन पुस्तकों से प्राप्त आय कवयित्री ने दृष्टिबाधित बच्चों की शिक्षा को समर्पित की है । इस अवसर पर मुख्य रूप से श्री मुबीन जामिन, श्री रत्नाकर रतन, श्री राजेंद्र राही, श्री दिनेश भट्ट, ए एस ब्राउन एवं डब्ल्यू एस ब्राउन सहित जिले के अनेक वरिष्ठ साहित्यकारों एवं समाज सेवियों की गरिमामयी उपस्थिति रही ।
कार्यक्रम में संस्था द्वारा स्थापित "समर्थ भूषण सम्मान" -2022 जिले के वरिष्ठ लेखक श्री रणजीत सिंह परिहार को प्रदान किया गया । इस अवसर पर उपस्थित जिले की अन्य प्रतिष्ठित विभूतियों के साथ ही सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाओं का भी अभिनंदन किया गया ।
कवि सम्मेलन में आमंत्रित कविगण में, श्री आलोक सीतापुरी -सीतापुर उ प्र ने, चंदन घिसैं तो रामा आई के लगावैं भाल, अइसी सक्ति भक्ति मा दिखाइ गए तुलसी । लोक परलोक का सुधारै हेतु मानस की, सीढ़िया सरग मा लगाइ गए तुलसी । सुश्री अंजुमन मंसूरी 'आरज़ू' -छिंदवाड़ा ने सफ़र की मुश्किलों से हम जो डर गए होते, ज़फ़र न मिलती हमें गर ठहर गए होते ।
हमारी ज़ीस्त को आसाँ समझने वालों तुम, हमारे हाल में होते तो मर गए होते । श्री अमितपुरी शिकोहाबादी -पुणे ने टूटे दिल की और मुनादी नई करनी, इससे ज़ियादा अब बर्बादी नई करनी । धड़कन की आवाज़ें दब कर रह जाएँ, छाती इतनी भी फौलादी नई करनी
। श्री रामखिलाड़ी स्वदेशी -मथुरा ने ज़िंदगी की मेरी इक कहानी तो है, इस लहू में अभी तक रवानी तो है ।मेरी आँखों में बेशक नहीं रौशनी, किंतु आँखों में दो बूंद पानी तो है । श्री चंद्रवीर - दिल्ली ने चलो आजाद हिंदुस्तान का इतिहास गाएँ हम, सबल जनशक्ति के गणतंत्र का उल्लास गाएँ हम, कि 65 हो कि 71 कि हो 99 कारण, हराया है हराएँगे अटल विश्वास गाएँ हम ।
डॉ -आरिफ़ा शबनम -आगरा ने देखने वाले ठीक कहते हैं, मेरे चारों तरफ अंधेरा है । क्यों तमन्ना ए रोशनी हो मुझे, मेरी आंखों में नूर तेरा है । श्री सागर अनजान -फिरोजाबाद ने तुम्हें आवाज़ देता हूं चले आओ चले आओ, बड़ा बेताब है ये दिल ज़रा सूरत दिखा जाओ । हो तुम प्यासी नदी तो मैं हूँ गहरा प्रेम का सागर, छुपा लूंगा मैं लहरों में ज़रा मुझ में समा जाओ । पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर खूब तालियां बटोरी । कार्यक्रम का सफल संचालन तरुण जैन एवं सूर कवि श्री चंद्रवीर ने किया । अंत में संस्था प्रमुख श्री कमलेश साहू ने आभार प्रकट किया ।







