म. प्र. आंचलिक साहित्यकार परिषद की कवि गोष्ठी संपन्न
"देखत देखत भैया कितने बदल गए जे गांव हमारे"
"कविताई ऐसी करो जो सबई सुनें मुंह बाय"
(अवधेश तिवारी, पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक)
छिंदवाड़ा उग्र प्रभा समाचार : मध्यप्रदेश आंचलिक साहित्यकार परिषद द्वारा आयोजित मासिक कविगोष्ठी में कवि नंद कुमार दीक्षित ने पढ़ा "टूट जाएं भव बंधन सारे, ऐसी बुद्धि प्रखर दे, मां वर दे।" "बात छोटी सी तुझको बतानी है, रंग खुशियों के भरो, जिंदगी सुहानी है।" कवि गोष्ठी के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि रत्नाकर रतन ने अपने काव्य उद्गार यों व्यक्त किए "खुशबू बिखरती रही फिजाओं में, मैं डूबता चला गया मां की दुआओं में"। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो.अमर सिंह ने दायरों को तोड़ती आज की स्त्री "दैहिक संतुष्टि वाले बहुत हैं पर रूह से प्रेम करने वाले बहुत कम" और बेटी की विदाई पर "दुनिया का दस्तूर आंखें होती नम" कविता सुनाई। पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी ने अपने बुंदेलखंडी अंदाज में "कविताई ऐसी करो, सबई सुनें मुंह बाय" और "देखत देखत भैया कितने बदल गए जे गांव. हमारे"जैसी अद्भुत रचनाओं का वाचन किया। मंच संचालन करती हुई कवयित्री संगीता श्रीवास्तव ने जुदाई की पीड़ा को कुछ यों शब्द दिए, "जिंदा रहें तुम्हारे बिना, है बहुत कठिन/हम तुमको भूल जाएं, ये भी तो आसान नहीं।" युवा कवि प्रत्यूष जैन ने अहम पर करारी चोट करते हुए कविता यों पढ़ा "जाने क्यों लोगों के अंदाज जुदा हो जाते हैं/ज्यादा झुककर मिलो तो खुदा हो जाते हैं।" अंजुमन अंसारी ने "रहे खामोश इंसान, इशारे बोल पड़ते हैं",संजय सोनी ने "मैं चला अपने गांव बचपना ढूंढने, नहीं मिली मुझे वे गांव की बोलियां, वोकांच की गोलियां" और अंबिका शर्मा ने नारी महिमा पर उद्गार "है मोक्ष द्वार धरती पर, निष्पाप करती है नारी" व्यक्त कर सभी को काव्य रस से सराबोर कर दिया। अंकुर वाल्मीकि ने "जिंदगी के सब हर सवाल, क्यों होते हैं सर्पाकार", वरिष्ठ कवि लक्ष्मण प्रसाद डहेरिया ने "दिल से दिल को मिलाओ तो कोई बात बने, अमन के फूल खिलाओ तो कोई बात बने" कविता पढ़कर सभागृह को भावनात्मक रोमांच प्रदान किया। कवयित्री मोहिता जगदेव ने "आसमां छूने के लिए उड़ना जरूरी नहीं", नेमीचंद व्योम ने " पाखंड छोड़ झांके अंतस में, हम सत्य आचरण करें/ दिखा गए जो पंथ पुरोधा,सोच समझ अनुसरण करें", और आचार्य शिवेंद्र कातिल ने "जिंदगी सुबह से बीमार पड़ी है" रचना से सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। रामलाल सराठे ने नारी महिमा को रेखांकित करते हुए कहा कि "नारी नर की अच्छी सहेली/फिर भी एक अबूझ पहेली है", संजय सोनी ने "मैं अपने गांव चला बचपना ढूंढने", अनुराधा तिवारी ने "शक्ति सनातन संस्कृति को, भूल गया इंसान है" और राजेंद्र यादव की "गर पतझड़ है, तो जाना है मुझको " कविताओं ने खूब तालियां बटोरीं। कवि गोष्ठी के बीच में परिषद की प्रतिनिधि पत्रिका 'आंचलिका' के तृतीय पुष्प विमोचन के प्रस्ताव पर चर्चा हुई तथा आंचलिक साहित्य के विकास को समर्पित बुंदेलखंड साहित्य परिषद को आंचलिक साहित्यकार परिषद से संबद्ध किए जाने की घोषणा भी की गई।
इस सरस कवि गोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉक्टर अमर सिंह थे और विशिष्ट अतिथि के रूप में थे श्री रत्नाकर रतन। कवि गोष्ठी में देर तक काव्य की रस वर्षा होती रही।



