Breaking Posts

6/trending/recent

Hot Widget

Type Here to Get Search Results !

Gadgets

बसंत महोत्सव पर कवियों ने अपनी सुरीली आवाज मे बिखेरा काव्य राग

 सूर्यकांत बाली के वैदिक उपन्यास "दीर्घतमा" पर परिचर्चा  

 *"सुनो पाञ्चजन्य का नाद तो है स्वर सिंहनादी ललकारो का*

*अबकी बार प्रहार कड़ा हो फन कुचलो मक्कारों का"*

 *बसंत महोत्सव पर कवियों ने भी बिखेरा काव्य रंग*


*छिंदवाड़ा -* साहित्य अकादमी, मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग का उपक्रम पाठक मंच द्वारा लेखक सूर्यकांत बाली के वैदिक उपन्यास "दीर्घतमा" पर परिचर्चा एव बसंत महोत्सव अंतर्गत काव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर कौशल किशोर श्रीवास्तव की अध्यक्षता एवं राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित चर्चित व्यंग्य कवि व रंगकर्मी विजय आनंद दुबे के मुख्य आतिथ्य में नगर के चर्च कंपाउंड, छिंदवाड़ा  स्थित विश्वास नर्सिंग होम के परिसर में किया गया है  कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आल राउंडर कवि रत्नाकर रतन थे ! कार्यक्रम का शुभारंभ श्रीमति अनुराधा तिवारी द्वारा प्रस्तुत मां सरस्वती की वन्दना से करते हुए लेखक सूर्यकांत बाली के वैदिक उपन्यास "दीर्घतमा" पर परिचर्चा कराई गई जिसका संचालन विशाल शुक्ल ने किया तथा कृति की पृष्ठभूमि पर डॉक्टर कौशल किशोर श्रीवास्तव ने  ने प्रकाश डाला जिसमे उपस्थित पाठको ने भी कृति पर अपने अपने विचार व्यक्त किए! कार्यक्रम के दूसरे दौर में कवियत्री संगीता श्रीवास्तव के शानदार संचालन में जिले भर से आमंत्रित कवि डॉक्टर कौशल किशोर श्रीवास्तव, नेमीचंद व्योम, रत्नाकर रतन, विजय आनंद दुबे, विशाल शुक्ल, रामलाल सराठे "रश्मि", रमाकांत पांडेय, शशांक दुबे, कविता भार्गव, हरिओम माहोरे, संगीता श्रीवास्तव, अनुराधा तिवारी, अंकित विश्वकर्मा ने एक से बढ़कर एक अपनी मनमोहक बासंतिक कविताओं, गजलों, गीतों और शेरो- शायरी से समां बांधा! कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. कौशल किशोर श्रीवास्तव ने बसंत पर केंद्रित अपनी कविताओं के माध्यम से कार्यक्रम को ऊंचाइयों प्रदान की ! वहीं पाठक मंच के संयोजक विशाल शुक्ल ने कार्यक्रम की सफलता पर विश्वास नर्सिंग होम व उनके स्टॉफ सहित सहित उपस्थित जनों का विशेष आभार व्यक्त किया इस दौरान उपस्थित सभी काव्य प्रेमियों तथा नर्सिंग होम स्टॉफ द्वारा भारत रत्न, स्वर कोकिला लता मंगेशकर को याद करते हुए अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई! 

*कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विजय आनंद दुबे ओज पढ़ते हुए जोश भरा...*

"सुनो पाञ्चजन्य का नाद तो है 

 स्वर सिंहनादी ललकारो का

अबकी बार प्रहार कड़ा हो

 फन कुचलो मक्कारों का"

*कवियत्री अनुराधा तिवारी "अनु" ने अपनी बासंतिक  रचना प्रस्तुत की..*

"कूलन वीथिन बाग कछारन

छाए रहो मधुमास सुहावन

बौरन झौरन आम सजे स्वर

कोकिल गान करे मनभावन"

*वेलेंटाइन डे पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कवि शशांक पारसे ने पढ़ा...*

"सात दिनों का प्यार नही प्रिये

ये सात जन्मों का प्यार प्रिये

पहला प्यार मां का दुलार प्रिये

दूजा प्यार पिता की फटकार प्रिये"

*प्रकृति पर केंद्रित  कविता भार्गव ने रचना पढ़ी...*

"जब आई बसन्त ऋतु मस्तानी

झूमे गगन गायें पक्षी और मीठी धूप सुहानी

सूरज की लालिमा से संसार जगमगाएं

मन मे उमंगो के बादल उमड़ आएं"

*कवि रमाकांत पांडेय ने बसंत के आमंत्रण पर पढ़ा...*

"कोयल के गीतों का मौसम फिर आ गया

  पुरवा में बसांतिक आमंत्रण आ गया"

*कवि रत्नाकर रतन ने बसंत का स्वागत किया...*

"कोकिल के मधुगीतों का प्रतिकार करूं तो कैसे

मैंने फूलों से प्यार किया शूलों से श्रृंगार करूं कैसे

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Ads Bottom