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पांढुर्ना (मध्यप्रदेश ) की दुर्दैवी घटना के लिए अंधश्रध्दा जिम्मेदार

पांढुर्ना(मध्यप्रदेश) की दुर्दैवी घटना के लिए अंधश्रध्दा जिम्मेदार  

 तंत्रमंत्र जादूटोना चमत्कार भ्रामक समझ : एस.आर.शेंडे

 सौंसर,छिंदवाड़ा उग्र प्रभा समाचार :अंधश्रद्धा निर्ममूल समिति के माध्यम से समाज प्रबोधन का कार्य कर चुके एस.आर.शेंडे ने बताया कि,समाज में कुछ ऐसी विकृत मानसिकता के लोग होते है जो धर्म व ईश्वर का सहारा लेकर अपनी श्रेष्ठता,प्रभुत्व,दम्भ का प्रदर्शन करने के लिये तांत्रिकों बाबाओं ,गुरुओं,स्वामियों,भुमकाओं पडीहारो,का रूप धारण कर भूतप्रेत,जादूटोना, काला  इल्म ,टेलीपैथी ,चमत्कार, योग ,संतान प्राप्ति  का डर व प्रलोभन  देकर अशिक्षित ही नहीं सर्वसाधारण शिक्षित लोगों को ठगने का कार्य करते है ।और अंत में खुद के बुने जाल में फंसकर लोगों के आक्रोश का शिकार बनकर अपमानित होने,जेल जाने या खुद के मृत्यु का कारण बनते है । पांढुर्ना (मध्यप्रदेश) के धोलनखापा में जादूटोना के शक में घटित दुर्दैवी हत्या  की  घटना इसी अंधश्रद्धा की मानसिकता के चलते घटित हुई है ।श्री शेंडे ने कहा कि,विज्ञान  ने आज इतनी प्रगति की है कि, आदमी का प्रत्येक पल  व अंग उसका लाभ ले रहा है । सारा विश्व वैज्ञानिक खोजों व अविष्कारों के कारण प्रगति व समृद्धि के शिखर पर है ।लोग चाँद मंगल पर जा रहे है ।खेद है कि,कुछ पढ़े लिखे लोग भी  खुद  विचार, तर्क बुद्धि का उपयोग ना करते हुए अवैज्ञानिक ,अन्धश्रद्धाओं पर विश्वास करते हैं,जो मानवीय जीवन के लिए घातक है । अगर तंत्रमंत्र  झाड़फूंक में इतनी शक्ति है तो सरहद पर लाखों सैनिकों व रक्षा सामग्री की तैनाती की क्या आवश्यकता है ।दो चार तांत्रिकों एवं पडीहरों को सीमा पर रख देते दुश्मन की सेना पल में ख़ाक हो जाती । देश मे कितनी अंधश्रद्धा भरी हुई है इसके लिए एक उदाहरण काफी है। फ्रांस से जब राफेल लड़ाकू विमान भारत आया था तब भारत के रक्षा मंत्री श्री राजनाथसिंह ने विमान पर निब्बू मिर्ची लटकाकर पूजा की थी । आज भी कई प्रभावी राजनेता बाबाओं तांत्रिकों के चरणों में नाक रगड़ते हैं । आसाराम राम रहीम जैसे सैकड़ों  पाखंडियों के उदाहरण हमारे सामने है । टीवी चैनलों पर चौबीसों घंटे सरकारी देखरेख में अन्धश्रद्धाओं से परिपूर्ण अवैज्ञानिक प्रोग्राम प्रसारित किए जा रहे है । इसलिए देश व समाज मे वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रचार प्रसार करने के साथ सभी सुविधाओं से युक्त विश्विद्यालयों, संस्थानों  की स्थापना करने की आवश्यकता है । पांढुर्ना जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो  पाएं इसके लिये दूर दराज के गाँवों में जनजागृति  अभियान चलाना चाहिए । नई पीढ़ी को सजग रहने की आवश्यकता है ।


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