आर्थिक समास्या के बाद भी श्री अशोक डेहरिया को मिली डॉक्टरेट की उपाधि
ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ रहा है शिक्षा का स्तर
अमरवाड़ा उग्रप्रभा समाचार
श्री अशोक डेहरिया को रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर में 33 वे दीक्षांत समारोह में म.प्र. महामहिम राज्यपाल मंगू भाई पटेल के द्वारा समाज-कार्य विषय में पीएचडी की उपाधि प्रदान की गयी. वे ग्राम भाजीपानी, तहसील अमरवाड़ा, जिला छिन्दवाड़ा से हैं जो एक आदिवासी बाहुल्य ग्राम है जिनके लिए डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करना एक सपना जैसा था जो एक लम्बे संघर्ष के बाद साकार हो पाया. वे कहते हैं की डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के लिए कई प्रकार की कठिन प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ता है जो पिछड़े और गरीब तबके के लोगों के लिए एक कठिन कार्य तो है लेकिन असंभव नहीं है. क्योंकि “जितना बड़ा लक्ष्य होता है उतना ही बड़ा संघर्ष होता है और उसका परिणाम भी उतना ही अच्छा होता है”. आगे वे कहते हैं की मेरे पिता (श्री अन्नीलाल डेहरिया) और माता (श्रीमति गोदावरी डेहरिया) के कठिन परिश्रमों और अथक प्रयासों की वजह से आज में इस मुकाम तक पहुँच पाया. उनके पिता उन्हें यह कहकर प्रेरित करते रहे हैं कि “विद्याधन से बढ़कर कोई धन नहीं है इसे कोई कभी बंटा नहीं सकता”. उन्होंने विषम परिस्थितियों के वावजूद भी अपने दोनों बेटों को डॉक्टरेट की उपाधि तक का सफ़र सफ़लता पूर्वक तय कराया है जो सिर्फ उनके परिवार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए गौरव की बात है. वर्तमान में दोनों बेटे डॉ. अशोक डेहरिया और डॉ. जीतेंद्र कुमार डेहरिया बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर (गेस्ट फैकल्टी) के रूप में पढ़ा रहे हैं.
